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पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ प्रेस क्लब से बर्खास्त, चारसौबीसी का मुकदमा दर्ज

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पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ

घोटाले में भागीदार रहे परवेज अहमद, जयंतो भट्टाचार्या और रितु वर्मा भी प्रेस क्लब से सस्पेंड : प्रेस क्लब आफ इंडिया के महासचिव रहे पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ इन दिनों बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान जो-जो घपले-घोटाले, गड़बड़ियां की थीं, उसका परिणाम अब सामने आ रहा है. इसी कारण उनके खिलाफ 420, 406 और 120B में मुकदमा दर्ज करा दिया गया है.
पीसीआई में पुष्पेंद्र को हराकर जो नए पदाधिकारी सत्ता में आए, उन लोगों ने पुष्पेंद्र के 2008 से 2010 तक के कार्यकाल के लेनदेन की जांच कराई. इस जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति बनाई गई जिसका कनवीनर कोषाध्यक्ष नदीम को बनाया गया. इस टीम में सदस्य के रूप में राहुल जलाली, विजय शंकर चतुर्वेदी, वीरेंद्र झा और हितेंद्र गुप्ता थे. इस जांच समिति को सामने सबसे बड़ी मुश्किल ये पेश आई की पुष्पेंद्र ने लेनदेन का कोई ऐसा कागजात आफिस में छोड़ा ही नहीं था जिससे घपले-घोटालों का पता लगाया जा सका. ज्यादातर सुबूत मिटा दिए गए थे. ज्यादातर कागज व दस्तावेज गायब थे. बहुत मुश्किल से जांच समिति ने अपनी जांच पूरी की. अपनी फाइनल रिपोर्ट में समिति ने कई सारे घपले-घोटालों का खुलासा किया.
जांच समिति ने गड़बड़ियों की रिपोर्ट तैयार कर पुलिस केस के लिए आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) के पास अनुरोध भेज दिया. आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा ने घपले-घोटाले की जांच का काम संसद मार्ग थाने के इंस्पेक्टर मान को सौंप दिया. पुलिस ने तीन महीने तक मामले की जांच की. कई लोगों के बयान लिए. आखिरकार गड़बड़ियों के आरोपों को सही पाया. तब तीन धाराओं में पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई. सबसे ज्यादा चर्चा में पंद्रह लाख रुपये का कुर्सी घोटाला है. पुष्पेंद्र और उनकी टीम के लोगों ने स्टील मंत्रालय से प्रेस क्लब आफ इंडिया में कुर्सियों की खरीद के लिए पंद्रह लाख रुपये लिए. आरोप है कि पांच लाख रुपये तो मिलते ही गायब कर दिए गए.
बचे दस लाख रुपये. आरोप है कि इसका चेक एक ऐसे आदमी को दे दिया गया, जो सप्लायर नहीं था. उसने साढ़े आठ लाख रुपये पुष्पेंद्र को लौटा दिए और बाकी बचे डेढ़ लाख की स्टील की कुर्सियां आईं जो इन दिनों प्रेस क्लब आफ इंडिया में बैठने के काम आ रही हैं. इसके पहले लकड़ी की कुर्सियां थीं जो आरामदायक थीं. वे कुर्सियां अचानक गायब हो गईं. उनकी जगह आईं तकलीफदेह स्टील की कुर्सियां. दूसरा घोटाल मेंबरशिप का है. एसोसिएट मेंबर बनाने के लिए पैंतीस से पचास हजार रुपये लिए गए पर इनका कोई लेखाजोखा नहीं रखा गया. मतलब, पैसे नगद लेकर प्रेस क्लब का कार्ड दे दिया गया पर कोई रसीद नहीं दिया गया. इस तरह के दो लोगों ने पुलिस को बयान दिया है कि उनसे पैसे लिए गए पर रसीद नहीं दिया गया. दूसरा, प्रेस क्लब के जिन बुजुर्ग सदस्यों का निधन हो गया या आनाजाना बंद कर गए, उनके प्रेस कार्ड को गुपचुप तरीके से नाम बदलकर दूसरे लोगों को बेच दिया गया और मेंबर बना दिया गया.
पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ को प्रेस क्लब आफ इंडिया से इन गंभीर घपले-घोटालों और पुलिस केस के कारण बर्खास्त कर दिया गया है. उन्हें सबसे पहले सोकाज नोटिस जारी किया गया था. महीने भर में जब उन्होंने जवाब नहीं दिया तो सस्पेंड किया गया. एक महीने के इंतजार के बाद जब फिर कोई जवाब नहीं आया तो उन्हें बर्खास्त कर दिया गया. स्टील मंत्रालय से पंद्रह लाख रुपये के चेक के मामले में जिन जिन तत्कालीन पदाधिकारियों के हस्ताक्षर थे, परवेज अहमद, जयंतो भट्टाचार्या और रितु वर्मा, इन्हें भी सस्पेंड कर दिया गया है. इस पूरे प्रकरण पर पुष्पेंद्र का पक्ष जानने के लिए भड़ास4मीडिया की तरफ से फोन किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया. इस प्रकरण पर अगर कोई भी पत्रकार या आरोपी कोई भी पूर्व पदाधिकारी अपनी बात रखना चाहता है तो नीचे दिए गए कमेंट बाक्स का सहारा ले सकता है या फिर ON PAGE पर मेल कर सकता है.

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