जिंदगी मुस्कुराने के लिए है ( Life is for smiling bn)
हँसती-खिलखिलाती सूरत हर किसी को पसंद है। कहा भी गया है कि हँसने वाले के साथ सब हँसते हैं, लेकिन रोने वाले के साथ कोई नहीं रोता... फिर छोटी-छोटी मुश्किलों को फैलाकर बड़ा कर लेना भी कोई अकलमंदी नहीं है। दुख, तकलीफें हर एक की जिंदगी का हिस्सा होती हैं, कहीं कम तो कहीं ज्यादा, लेकिन इससे निजात नहीं है तो फिर क्यों न इसी में से रास्ता निकालें? खुद मुस्कुराएँ तथा औरों के लिए भी मुस्कुराने का सामान जुटाएँ। आखिर तो जिंदगी मुस्कुराने के लिए है।
उपासना जब हँसती हैं तो लगता है दुनिया में गम है ही नहीं। चारों ओर खुशियाँ ही खुशियाँ हैं। उनका कहना है कि जिंदगी बहुत छोटी है और खुशियाँ खासकर बड़ी-बड़ी खुशियाँ, जिसके इंतजार में व्यक्ति दिन-रात एक कर देता है, वे तो बहुत ही कम आती हैं। इस चक्कर में लोग छोटी-छोटी खुशियों को नज़रअंदाज कर देते हैं।
उपासना जहाँ भी जाती है, सभी उसको घेर लेते हैं। उससे बात करना चाहते हैं। वे भी सबकी बात सुनती हैं और सबको यथोचित सलाह भी देती हैं। दुख तो उनकी जिंदगी में भी आए, लेकिन वे बहुत हिम्मती हैं, उन्हें फिर भी जिंदगी से बहुत प्यार है।
जीवन की प्रतिस्पर्धा और आपाधापी ने कहीं न कहीं इंसान को मशीन बना दिया है। जीवन में हर कदम पर तनाव है, इसका असर रिश्तों पर भी हुआ है। ऐसे माहौल में हँसमुख, मिलनसार और जिंदादिल लोग प्रेरणा जगाते हैं, वहीं कई ऐसे लोग भी होते हैं जिनसे आप कभी भी हाल-चाल पूछ लें, हमेशा किसी न किसी परेशानी का रोना उनके पास होगा ही।
अपनी हँसी-खुशी को दूसरों का मोहताज मत बनाइए। खुद को खुश रखने का सबसे पहला जिम्मा आपका खुद का है। समय बहुत कीमती होता है, उसे यूँ ही दूसरों के गलत कामों के बारे में सोचकर बर्बाद न करें। आपके चारों तरफ छोटी-छोटी कई खुशियाँ बिखरी हुई हैं, उन्हें बटोरना शुरू कीजिए।
खुद को व्यस्त रखने से फालतू बातें दिमाग में नहीं आएँगी। मेरी एक और सहेली है। वह हमेशा चिंता और आशंका में घिरी रहती है, जबकि उसकी अच्छी-खासी और खुशहाल पारिवारिक जिंदगी है।
उपासना जब हँसती हैं तो लगता है दुनिया में गम है ही नहीं। चारों ओर खुशियाँ ही खुशियाँ हैं। उनका कहना है कि जिंदगी बहुत छोटी है और खुशियाँ खासकर बड़ी-बड़ी खुशियाँ, जिसके इंतजार में व्यक्ति दिन-रात एक कर देता है, वे तो बहुत ही कम आती हैं। इस चक्कर में लोग छोटी-छोटी खुशियों को नज़रअंदाज कर देते हैं।
उपासना जहाँ भी जाती है, सभी उसको घेर लेते हैं। उससे बात करना चाहते हैं। वे भी सबकी बात सुनती हैं और सबको यथोचित सलाह भी देती हैं। दुख तो उनकी जिंदगी में भी आए, लेकिन वे बहुत हिम्मती हैं, उन्हें फिर भी जिंदगी से बहुत प्यार है।
जीवन की प्रतिस्पर्धा और आपाधापी ने कहीं न कहीं इंसान को मशीन बना दिया है। जीवन में हर कदम पर तनाव है, इसका असर रिश्तों पर भी हुआ है। ऐसे माहौल में हँसमुख, मिलनसार और जिंदादिल लोग प्रेरणा जगाते हैं, वहीं कई ऐसे लोग भी होते हैं जिनसे आप कभी भी हाल-चाल पूछ लें, हमेशा किसी न किसी परेशानी का रोना उनके पास होगा ही।
अपनी हँसी-खुशी को दूसरों का मोहताज मत बनाइए। खुद को खुश रखने का सबसे पहला जिम्मा आपका खुद का है। समय बहुत कीमती होता है, उसे यूँ ही दूसरों के गलत कामों के बारे में सोचकर बर्बाद न करें। आपके चारों तरफ छोटी-छोटी कई खुशियाँ बिखरी हुई हैं, उन्हें बटोरना शुरू कीजिए।
खुद को व्यस्त रखने से फालतू बातें दिमाग में नहीं आएँगी। मेरी एक और सहेली है। वह हमेशा चिंता और आशंका में घिरी रहती है, जबकि उसकी अच्छी-खासी और खुशहाल पारिवारिक जिंदगी है।
कभी उसे ये आशंका रहती है कि उसे कोई गंभीर बीमारी तो नहीं हो जाएगी? तो कभी वो सोचती है कि मेरे बच्चे जीवन की दौड़ में पिछड़ तो नहीं जाएँगे? मेरा कोई अपना मुझसे बिछुड़ तो नहीं जाएगा?
पति के किसी महिला से हँसकर बात कर लेने भर से ही वो तनावग्रस्त हो जाती है। कहने का मतलब यह है कि उसे हमेशा गिलास आधा खाली नजर आता है। यदि उसे जन्मदिन पर बधाई दें तो यह कहकर सामने वाले को निराश कर देती है कि 'अरे इसमें खुशी मनाने जैसा क्या है? बल्कि एक साल जिंदगी का और कम हो गया।'
इसके बिलकुल उलट सपना है, जो कैंसर से जूझते हुए भी हताश या निराश नहीं हुई। न वह खुद टूटी, न ही परिवार को निराश होने दिया। हर हाल में उसने घर के माहौल को खुशनुमा बनाए रखा। बीमारी की पीड़ा, कीमोथैरेपी, ऑपरेशन हर चीज का हिम्मत से सामना किया। उसके इस जज़्बे को उसके डॉक्टर, परिचित और परिजन सभी ने सलाम किया।
भावनात्मक रूप से कमजोर लोग थोड़े से दुख में भी डिप्रेशन में चले जाते हैं और फिर वे किसी भी चीज को संभाल नहीं पाते हैं। रिश्तों में बिखराव, क्रोध और तनाव का वातावरण परिवार की खुशियाँ भी छीन लेता है।
इंसान की असली परीक्षा तो दुखों में ही होती हैं तो जिंदगी की छोटी-छोटी तकलीफों को बड़ा करके खुशियों को कम करने की बजाय, बड़ी-बड़ी मुश्किलों में मुस्कुराने की कोशिश की जाना चाहिए।
पति के किसी महिला से हँसकर बात कर लेने भर से ही वो तनावग्रस्त हो जाती है। कहने का मतलब यह है कि उसे हमेशा गिलास आधा खाली नजर आता है। यदि उसे जन्मदिन पर बधाई दें तो यह कहकर सामने वाले को निराश कर देती है कि 'अरे इसमें खुशी मनाने जैसा क्या है? बल्कि एक साल जिंदगी का और कम हो गया।'
इसके बिलकुल उलट सपना है, जो कैंसर से जूझते हुए भी हताश या निराश नहीं हुई। न वह खुद टूटी, न ही परिवार को निराश होने दिया। हर हाल में उसने घर के माहौल को खुशनुमा बनाए रखा। बीमारी की पीड़ा, कीमोथैरेपी, ऑपरेशन हर चीज का हिम्मत से सामना किया। उसके इस जज़्बे को उसके डॉक्टर, परिचित और परिजन सभी ने सलाम किया।
भावनात्मक रूप से कमजोर लोग थोड़े से दुख में भी डिप्रेशन में चले जाते हैं और फिर वे किसी भी चीज को संभाल नहीं पाते हैं। रिश्तों में बिखराव, क्रोध और तनाव का वातावरण परिवार की खुशियाँ भी छीन लेता है।
इंसान की असली परीक्षा तो दुखों में ही होती हैं तो जिंदगी की छोटी-छोटी तकलीफों को बड़ा करके खुशियों को कम करने की बजाय, बड़ी-बड़ी मुश्किलों में मुस्कुराने की कोशिश की जाना चाहिए।
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